Wednesday, September 26, 2012

Parakhte rahe who hamein sari zindagi

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Parakhte rahe who hamein sari zindagi
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Parakhte rahe who hamein sari zindagi
Aur hum bhi unke har
imthehan me pass hote rahe.
maza aa raha
tha unhe hamari
aansuon ki barish me
aur hum b
unke liue bina ruke
rote rahe.
bedard the wo
kuch is karar
neend hamari
udakar khud
chain se sote rahe
jinhe pane k
liye  hamne sab
kuch luta diya
wo hamein har kadam
par khote rahe
aur ek din jab
hua is ka ehsas unhe
woh hamare
pass aakar
pure din rote rahe
aur ham bhi itne
khudgarz nikle yaro
ki ankhe band kar
kafan me sote rhe...
 

Tuesday, September 25, 2012

Good One --- Dont Mind -- कोकणातला पावसाळा...

कोकणात पावसाळा सुरु झाला की शौचास जाण्याचा खुप
प्रोब्लेम होतो (खाली चिखल वरुण पाउस ) म्हणून कोकनाताले लोक नारळाच्या झापा पासून एक तात्पुरते शौचालय बनवितात त्यास कुढ्ल म्हणतात.
तात्या : मला सांगा बालानु आपला कुढ्ल नदित कुणी ढकलला ?
मुले : शपथ तात्या माहित न्हाई हो कुणी ढकलला ?
तात्या :- अस्सा ,खरेच बोलता काय ?
मुले : खरेच बोल्ताव आम्ही.......... बरे बरे.......
एक गोष्ट सांगतो लेकानो ,निट एका बरे!,
जॉर्ज वाशिंगटन ला दोन भाऊ होते ते तिघे लहान हुते तेव्हा त्यांच्या बा ने एक नारऴाचे झाड़ लाविल होत.,त्याच् नारऴ खाण्यासाठी तिघांची बी रोज भांडन व्हायची म्हणून एक दिवस त्येंचा बा बाहेर गेल्यावर
जॉर्ज वाशिंगटन ने झाड़ च तोडून टाकले .
त्येंचा बा घरी आल्यावर त्याने सर्वाना लाइन मध्ये उभे करून विचारले नारऴाचे झाड़ कुणी तोडले ?,
पण कुणीच कबूल होइना ......
मग त्यांचा बा म्हणला जे कुणी खर
सांगन त्याला मोट्ट चोकलेट देतो मी खरच!
ज्वार्ज वाशिंगटन लगेच म्हणाला "पप्पा मी तोडले झाड़ "त्येच्या पप्पानी त्याला एक खुप मोठ चोकलेट दिल,
म्हणजे खर बोलल्याबद्दल त्याला बक्शीश मिलाल!.........समजले.......!

आता तुम्ही सांगा ,"आपला कुढ्ल नदित कुणी ढकलला ? "
जे कुणी खर सांगन त्याला मी पण मोट्ट चोकलेट देतो ,
धाकटा मुलगा चोकलेट च्या नादान
हुरळून म्हणाला , त्तात्याव मीच ढकलला की कुढ्ल नदित हो खरच शपथ !

तात्याने त्याच्या खनकन कानाखाली वाजवली आणि म्हणाला ....
"भाडया......ज्वार्ज वाशिंगटन ने जेव्हा झाड़ तोडले तेव्हा त्यांचा बाप
नव्हता बसला झाडावर !





























Monday, September 17, 2012

No problem-o....!! Brilliant solutions to everyday problems:-

Brilliant solutions to everyday problems:-
 

  No spoon?
No problem-o!





Seatbelt broken?
No problem-o!




 



New TV too big for the old cabinet?
No problem-o!




 







No bottle opener?
No problem-o!




 






Room too dark using compact fluorescent's?
No problem-o!




 






Fuse burnt out?
No problem-o!




 






Car stereo stolen?
No problem-o!




 





Bookshelf cracking under the weight?
No problem-o!




 





Can't afford a real GPS?
No problem-o!




 






No ice chest?
No problem-o!




 






Can't read the ATM screen?
No problem-o!




 






Car imported from the wrong country?
No problem-o!




 








Satellite go out in the rain?
No problem-o!




 





Electric stove broken & can't heat coffee?
No problem-o!




 






Wiper motor burned out?
No problem-o!




 



 

What the?





 





Display rack falling over?
No problem-o!




 
 



Tires worm out?
No problem-o!
Might be a little hard to steer.





 





Desk overloaded?
No problem-o!




 






Car can't be ordered with the "Woody" option?
No problem-o!




 



Exhaust pipe dragging?
No problem-o!




 






Gotta feed the baby AND do the laundry?
No problem-o!




 



Cables falling behind the desk?
No problem-o!



 







No skate park in town?
No problem-o!



 



Dagadu !








Timepass !!!

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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